Thursday, October 30, 2014

टीले से भय



बड़ी लम्बी दूरी थी,
थक गए होगे,
सो जाओ

याद है जब पिछली बार सोये थे?
खर्राटों से घुड़दौड़ का एहसास होता था
तब भी तो थक ही गए थे
सो सो गए

तुम्हारी अलार्म की घडी भी तो बेकार है
वक़्त होते जगाती ही नहीं
थक जो गए थे
सो सो गए

बड़े होने की निशानी है नींद न आना
लेकिन पिछली बार मेहनत खूब की थी तुमने
तभी तो थक गए थे
सो सो गए

इतनी मेहनत की थी की अभी तक पेड़ों पर फल लग रहे हैं
इतने दिनों बाद भी फसल उग रही है
तभी तो थक गए थे
सो सो गए

तुमने कोशिश तोअच्छी की 
लेकिन टीले को बराबर न कर सके
थक जो गए थे
सो सो गए

टीला हरा भरा तो हो गया 
लेकिन उबड़ खाबड़ अभी भी है
तुम थक गए थे 


खर पतवार तो उग आते हैं वहां
लेकिन अरहर नहीं उग पाता
तुम्हारा क्या दोष,तुम थक जो गए थे

पता है अब वहां साँपों का डेरा है
टीले को ठीक से बराबर जो नहीं किया
तुम थक गए थे

लोग उस रस्ते से अब कतराते हैं
सांप जो बसने लगे हैंवहां
खैर तुम थक गए थे

साँपों का क्या, उनको क्या ज्ञान?
अब तो हमारे घरों में भी आने लगे हैं
तुमने उनकी शिक्षा के लिए कुछ किया जो नहीं
तुम तो थक गए थे

साँपों के आकर्षण चूहे, वो भी हमारे घरों में बसने लगे 
सांप उन्हें खाने जो लगे
पर तुम तो थक गए थे

अब तो नेवले भी आने लगे
अक्सर सांपों और नेवलों की लड़ाई दिख जाती है
तुम थक के सो जो गए

मुझे याद आया, पिछली बार तुमने बनैलों को भगाया था
फिर हमारे खेतों में फसल पकने लगें
तभी तो तुम थक के सो गए
टीला ठीक से बराबर भी नहीं हो पाया था

अब देखो, हमें बच्चों का भय ज्यादा सताने लगा है
साँपों का बसेराजो बस गया
फिर तुम शिव बन कर जागे
साँपों को धारण करने काफी चलके आये

अब फिर थक गए होगे, सो जाओ
एक और भय सताता है
बाकी बचे साँपों का क्या?
कुछ तो अभी भी हमारे घरों में वास करते हैं

लेकिन तुम सो जाओ, तुम थक गए होगे…
तुम्हारा शरीर सारे साँपों को तो नहीं समा सकता न?
फिर विषैलों का तुम्हें भी तो डर होगा

संभल जाओ, उनके लिए रास्ता निकालो
थक तो गए लेकिन थोड़ी देर बाद ही सोना …

Thursday, January 2, 2014

अब किसकी दुहाई  दोगे
अब किसे कहोगे दहशतगर्द
अब किसकी कन्धों से चलाओगे बन्दूक

तुम्हारी ही बूत-ए-इन्साफ कि बात सुनी
ठहरा गई तुम्हें ही अक़्ल-ए-इब्लीस


                                      -- राकेश कौशिक

Monday, May 27, 2013

Dilip Simeon's blog: Himanshu Kumar: दरभा घाटी में अभी एक दुर्घटना हुई ...

Dilip Simeon's blog: Himanshu Kumar: दरभा घाटी में अभी एक दुर्घटना हुई ...: दरभा घाटी http://dantewadavani.blogspot.in/2013/05/blog-post_26.html दरभा घाटी में अभी एक दुर्घटना हुई है .जिसमे कांग्रेस पार्टी क...

Wednesday, July 13, 2011

ab kiski duhai doge
ab kise kahoge dahshatgard
ab kiski kandhon se chalaoge bandook

tumhari hi boot-e-insaaf ki baat suni
thahra gayi tumhe hi aql-e-iblis

-- Rakesh Kaushik

Wednesday, February 16, 2011




Mausoleum - Chilapata forest (North Bengal)
at the same place several tons of confiscated wild animal products as ivory, tiger, snake and leopard, pangolin skins, etc. were burnt in 2004 by the West Bengal Forest Department. all these wild animal products were confiscated from across the country.

Tuesday, February 15, 2011


Bridge on the river Jayanti. This standing bridge was filled with the debris of hills which dissolved in 1993 - Alipurduar